Himachal Pradesh New CM: दूध बेचते थे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू, जानिए उनकी कहानी

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक खत्म होने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बन गए है। हिमाचल को कांग्रेस का दूधवाला मुख्यमंत्री मिल गया है। इसके साथ ही मौजूदा विधानसभा (Assembly) में नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) को उप मुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) चुना गया।
1. सुखविंदर सिंह मूल रूप से हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले हैं। वह कानून के जानकार हैं। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार समिति प्रमुख रहे सुक्खू नादौन सीट से ही विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीता है।
2. सुक्खू के पिता रसील सिंह एचजीटी हिमाचल प्रदेश रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (Himachal Pradesh Road Transport Corporation) में ड्राइवर थे। उनके घर के आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे। इसी वजह से सुखविंदर को भी रोजी रोटी के लिए छोटा शिमला (Chhota Shimla) में दूध बेचने का काउंटर चलाना पड़ता था। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (National Students Union of India) से शुरू किया था। इसके बाद साल 1989 में वह छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष बने। फिर साल 1998 से 2008 तक हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (Himachal Pradesh University) के एक्टिविस्ट के तौर पर उनकी पहचान रही है।
3. सुक्खू पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी है। इसी वजह से उन्होंने मतगणना के बाद कांग्रेस के अंदर शुरू हुई मुख्यमंत्री पद की होड़ में लगातार हाईकमान पर भरोसा होने का ही बयान दिया। उन्होंने हर बार यही कहा, कि हाईकमान जो निर्णय लेगा, वह मुझे मंजूर होगा।
4. सुखविंदर का चुनावी राजनीतिक सफर साल 1992 में शुरू हुआ था, इस समय वे शिमला नगर निगम के पार्षद चुने गए। फिर साल 2002 से पहले वह एक बार दोबारा पार्षद बने। हिमाचल में उनके प्रभाव का अंदाजा इस बात से भी लगता है, कि यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद 2008 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव बनाया गया था। उसके बाद साल 2013 में वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी चुने गए। इस पद पर वे छह साल तक रहे।
5. कांग्रेस की तरफ से 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) से सुक्खू की कभी नहीं बनती थी। दोनों को हमेशा विपक्षी गुट ही माना गया। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर भी ये तनातनी बनी रही। अब मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दोनों में ही मुकाबला था।