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Supreme Court: ट्रांसजेंडर वकील के लिए नामांकन फीस में छूट की मांग वाली याचिका कोर्ट ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को एक याचिका विचार करने से इनकार कर दिया। इसमें ट्रांसजेंडर (Transgender) वकीलों (lawyers) के लिए उस नामांकन शुल्क को माफ करने की मांग की गई थी, जो वैधानिक बार निकायों के द्वारा लिया जाता है। कोर्ट का कहना हैं, कि ऐसे मुद्दे न्यायिक समीक्षा के मापदंडों के तहत नहीं आते हैं।

चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ (D. Y. Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा (PS Narasimha) की बेंच ने कहा, कि न्यायिक समीक्षा के मानदंड संवैधानिक अदालतों को नामांकन शुल्क में छूट जैसे आदेश पारित करने की अनुमति नहीं देते हैं। सीजेआई (CJI) ने कहा, आप यह नहीं कह सकते कि केवल आपसे ही नामांकन शुल्क न लिया जाए। केवल ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही क्यों? इसे महिलाओं, विकलांगों और हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों तक क्यों न बढ़ाया जाए? आपको न्यायिक समीक्षा के मानदंड को समझना होगा।

बेंच ने कहा, कि केवल कानूनी पेशे में ही इस तरह की शुल्क माफी क्यों? इस तरह की शुल्क माफी को चिकित्सा क्षेत्र (Medical field) में बढ़ाया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने कहा, कि वह याचिका को खारिज कर रहा है। इसके बाद याचिकाकर्ता एम. कर्पगम (M. Karpagam) के वकील ने याचिका को वापस लेने का फैसला किया।

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