आत्मनिर्भर भारत का रक्षा क्षेत्र में एक और कदम, आईएनएस विक्रांत पर तेजस की सफल लैंडिंग

एक तरफ जहाँ हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भ्रष्ट (CORRUPT) हो रहा है, दूसरी तरफ हमारा भारत सफलता की ऊंचाइयों को छू रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत ने एक और कदम आगे बढ़ा लिया है। समंदर में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को अब स्वदेशी लड़ाकू विमानों का साथ मिल गया है। एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस ने सफलतापूर्वक लैंडिंग की । तेजस के साथ-साथ मिग-29 K फाइटर जेट्स ने भी विक्रांत के रनवे पर कामयाब लैंडिंग को अंजाम दिया। इस कामयाबी के साथ देश ने सुरक्षा में एक अहम मुकाम हासिल किया है। विशेषज्ञों का मानना है की जहाजों की ये जोड़ी एक नयी क्रांति लेकर आएगी। भारतीय नौसेना आधुनिकीकरण के साथ ही समुद्र में अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए हथियारों और मिसाइलों के अलावा अपने एयर विंग को भी मजबूत करने में जुटी है।
इंडियन नेवी ने अपने पोस्ट में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर इसे एक बड़ा कदम बताया है। नेवी ने अपने पोस्ट में लिखा है, ‘यह सफल लैंडिंग स्वदेशी लड़ाकू विमान (तेजस) के साथ स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन, कंस्ट्रक्ट, डेवलप और ऑपरेट करने की भारत की क्षमता को दिखाता है।’
आईएनएस विक्रांत देश में बना पहला विशाल विमान वाहक युद्धपोत है और यह जटिल प्रणालियों से भी लैस है. इसका डिजाइन भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने किया है और इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया है। यह अभी परीक्षण के दौर से गुजर रहा है इसे पहली बार 04 अगस्त 2021 को समुद्र में परीक्षण के लिए उतारा गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे भारतीय नौसेना में 02 सितंबर 2022 को शामिल किया था।
इसे बनाने की कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये आई है. इसकी लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 62 मीटर है। यह भारत में बना पहला सबसे बड़ा वॉरशिप है। आईएनएस (INS) विक्रांत एक साथ 30 एयरक्राफ्ट को लेकर चल सकता है। इन एयरक्राफ्ट्स में MiG-29K के साथ-साथ फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
इतना ही नहीं आईएनएस विक्रांत पर एक साथ 1600 लोगों का क्रू चल सकता है। करीब एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद भारत में इसे बनाया गया है। आईएनएस (INS) विक्रांत का नाम इसके पहले इस्तेमाल किए जा रहे युद्धपोत के नाम पर रखा गया है। बता दें कि पुराने आईएनएस विक्रांत ने 1971 में बांग्लादेश लिबरेशन के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ जंग में एक अहम भूमिका निभाई थी।