MAHASHIVRATRI 2023 : जाने क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि और क्या कहानी छुपी है इसके पीछे

धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तीन कारणों से महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें शिव-पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव और पार्वती का महामिलन महाशिवरात्रि को हुआ था। भगवान शिव और पार्वती एक दूसरे से विवाह के बंधन में बंधे थे। वैरागी शिव ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव सबसे पहले शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकाट्य हुआ था। ये भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष का पान करके भगवान शिव ने इस सृष्टि को संकट से बचाया था, इस वजह से ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। सागर मंथन से निकले विष का पान करने से भगवान शिव का गला नीला पड़ गया था, जिस कारण उनको नीलकंठ भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि (mahashivratri) के त्यौहार का बहुत महत्व है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन ही पृथ्वी पर 64 शिवलिंग विभिन्न जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमे केवल 12 ज्योतिर्लिंगो के बारे में ही पता है। जिन्हे हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं।
शिव पुराण कथा के अनुसार शिव ही ऐसे भगवान हैं, जो शीघ्र प्रसन्न होते है। वे सिर्फ अपने भक्तों का कल्याण करना चाहते हैं। वे यह नहीं देखते कि उनकी भक्ति करने वाला इंसान है, राक्षस है, भूत-प्रेत है या फिर किसी और योनि का जीव है। शिव को प्रसन्न करना सबसे सरल है। शिवलिंग में मात्र जल चढ़ाकर या बेलपत्र अर्पित करके भी शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष पूजन विधि की जरूरत नहीं होती। महाशिवरात्रि के दिन कई जगहों पर भगवन शिव की बारात भी निकाली जाती है और पूरी रात बैठकर शिवभक्त भगवान शिव की आराधना करते है।