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DDA’s Demolition Drive : अशोक विहार के जेलरवाला बाग झुग्गी क्षेत्र में डिमोलिशन अभियान, स्थानीय लोगों में आक्रोश

DDA का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध कब्जों को हटाने और क्षेत्र के पुनर्विकास की प्रक्रिया के तहत की जा रही

नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने राजधानी के अशोक विहार इलाके के जेलरवाला बाग झुग्गी क्षेत्र में डिमोलिशन अभियान चलाया। इस अभियान के तहत झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई की गई, जिससे इलाके में भारी हलचल और स्थानीय निवासियों में आक्रोश देखने को मिला।

DDA का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध कब्जों को हटाने और क्षेत्र के पुनर्विकास की प्रक्रिया के तहत की जा रही है। अभियान के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल और नागरिक सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी रही, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

झुग्गीवासियों ने आरोप लगाया कि उन्हें पूर्व सूचना या वैकल्पिक व्यवस्था के बिना बेघर किया जा रहा है। कई लोगों का कहना था कि वे वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्हें कोई वैकल्पिक मकान या पुनर्वास योजना नहीं दी गई है।

एक निवासी ने कहा, “हम बच्चों और परिवार के साथ कहां जाएं? ना तो कोई नोटिस मिला और ना ही कोई नई जगह दी गई। यह सरासर अन्याय है।”

डीडीए अधिकारियों के अनुसार, जेलरवाला बाग क्षेत्र में अवैध रूप से बनी झुग्गियों को हटाया जा रहा है ताकि नियोजित विकास कार्य किए जा सकें। उन्होंने दावा किया कि कई बार चेतावनी और नोटिस दिए गए, लेकिन अतिक्रमण जारी रहा।

बताया जा रहा है कि जेलरवाला बाग को आवासीय पुनर्विकास योजना के अंतर्गत लाया गया है, जहां ईडब्ल्यूएस (EWS) और एलआईजी (LIG) कैटेगरी के लिए नए आवास निर्माण की योजना है। डीडीए के इस डिमोलिशन अभियान ने एक बार फिर दिल्ली में झुग्गी बस्तियों और पुनर्विकास के बीच टकराव को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर सरकार शहर के सौंदर्यीकरण और योजनाबद्ध विकास की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर झुग्गीवासियों को पुनर्वास के अधिकार और मानवीय दृष्टिकोण की कमी की शिकायत है।

दिल्ली में भाजपा समर्थित सरकार के गठन के बाद राजधानी में झुग्गी-झोपड़ी इलाकों पर डिमोलिशन अभियान तेज़ हो गया है। हाल ही में अशोक विहार के जेलरवाला बाग क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा चलाया गया डिमोलिशन अभियान इसका ताजा उदाहरण है।

इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है और विपक्षी दलों ने इसे गरीब विरोधी कदम करार दिया है। स्थानीय झुग्गीवासियों में भारी नाराज़गी देखी जा रही है, जिन्हें बिना वैकल्पिक व्यवस्था के अचानक बेघर कर दिया गया।

सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि ये अभियान अवैध अतिक्रमण हटाने और पुनर्विकास योजनाओं को लागू करने के लिए जरूरी हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन योजनाओं में झुग्गीवासियों के पुनर्वास की पुख्ता व्यवस्था है?

झुग्गी बस्ती में रहने वाली एक महिला ने बताया, “चुनाव से पहले सब वादे करते हैं, लेकिन जैसे ही सरकार बनती है, सबसे पहले गरीबों के घर तोड़ दिए जाते हैं।”

आप और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने भाजपा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि “दिल्ली में भाजपा सरकार बनते ही गरीबों को उजाड़ने का काम शुरू हो गया है। क्या यही सुशासन है?”

अब देखना यह होगा कि डीडीए और सरकार झुग्गीवासियों के पुनर्वास को लेकर क्या ठोस कदम उठाते हैं, या यह मामला भी राजधानी की कई अधूरी पुनर्विकास कहानियों में शामिल हो जाएगा।

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