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कहीं आप भी तो नहीं है साइलेंट किलर की चपेट में, पश्चिम भारत में 67% लोगों को है अवैध मच्छर अगरबत्ती से परेशानी

अवैध अगरबत्तियां एक 'साइलेंट किलर' हैं। इन्हें बिना किसी पंजीकरण के, भ्रामक नामों से बेचा जा रहा है।

 

मुंबई। भारत के अग्रणी घरेलू कीटनाशक ब्रांड गुडनाइट के एक हालिया सर्वेक्षण में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पश्चिम भारत के 67% लोग अवैध और अनियमित मच्छर भगाने वाली अगरबत्तियों के इस्तेमाल से असहज महसूस करते हैं। सर्वे में बताया गया कि महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, पुणे और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के लोग इन अगरबत्तियों के कारण होने वाले संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर चिंतित हैं।

“वन मॉस्किटो, काउंटलेस थ्रेट्स” शीर्षक से किए गए इस राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण को मार्केट रिसर्च फर्म YouGov द्वारा संचालित किया गया और इसे गुडनाइट द्वारा प्रायोजित किया गया था। सर्वे का मकसद था – मच्छर भगाने वाले उत्पादों के उपयोग के प्रति उपभोक्ताओं की सोच और मच्छर जनित बीमारियों के प्रति उनकी जागरूकता को समझना।

सर्वे के मुख्य निष्कर्ष:

  • 69% भारतीय नागरिक अवैध अगरबत्तियों के उपयोग से असहज महसूस करते हैं।
  • पूर्व भारत में सबसे अधिक 73%, उत्तर भारत में 69%, दक्षिण और पश्चिम भारत में 67% लोग इन उत्पादों को लेकर चिंतित हैं।
  • लिंग के आधार पर, 70% पुरुष और 67% महिलाएं अपंजीकृत रसायनों से बनी अगरबत्तियों को असहज मानती हैं।
  • पश्चिम भारत के 60% उपभोक्ता मच्छर भगाने वाले उत्पादों की खरीद में अत्यधिक सतर्कता बरतते हैं।
  • 75% उपभोक्ता सरकार-अनुमोदित और सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं।

अवैध बाजार का खतरा

पश्चिम भारत में अवैध मच्छर अगरबत्ती का बाजार लगभग ₹320 करोड़ का है, जबकि देशभर में यह श्रेणी ₹1600 करोड़ तक पहुंच चुकी है और सालाना 20% की दर से बढ़ रही है। इस बाजार में महाराष्ट्र सबसे बड़ा केंद्र है, इसके बाद मध्य प्रदेश और गुजरात का स्थान है।

विशेषज्ञों की राय

गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL) की होम केयर मार्केटिंग प्रमुख शिल्पा सुरेश ने कहा, “इन अवैध अगरबत्तियों में अनियमित और अपंजीकृत रसायनों का उपयोग होता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। गुडनाइट का प्रयास है कि उपभोक्ताओं को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, सुरक्षित और प्रभावी विकल्प मिलें।”

होम इंसेक्ट कंट्रोल एसोसिएशन (HICA) के मानद सचिव जयंत देशपांडे ने चेतावनी दी, “ये अवैध अगरबत्तियां एक ‘साइलेंट किलर’ हैं। इन्हें बिना किसी पंजीकरण के, भ्रामक नामों से बेचा जा रहा है। इनसे सावधान रहना आवश्यक है।”

समाधान की दिशा में कदम:
GCPL के वैज्ञानिकों ने भारत का पहला स्वदेशी और पेटेंटेड अणु ‘रेनोफ्लुथ्रिन’ विकसित किया है। इसका उपयोग अब नए गुडनाइट फ्लैश लिक्विड वेपराइज़र में किया जा रहा है, जो मौजूदा सभी पंजीकृत फॉर्मूलेशनों की तुलना में 2 गुना अधिक प्रभावी बताया गया है।

सर्वेक्षण ने स्पष्ट किया है कि देशभर में उपभोक्ता मच्छर भगाने वाले उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता को लेकर पहले से अधिक सतर्क हो चुके हैं। अब जरूरत है कि जागरूकता के साथ-साथ, सरकार और ब्रांड मिलकर सुरक्षित और प्रमाणित उत्पादों को प्राथमिकता दें और अवैध उत्पादों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

 

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