अध्यात्म

Mokshada Ekadashi 2022: जानें मोक्षदा एकादशी की पूजाविधि और शुभमुहूर्त

हिन्दू पंचाग के मुताबिक, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) कहा जाता है। इस दिन योगेश्वर श्री कृष्ण (Sri Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को मनुष्य का जीवन सार्थक बनाने वाली गीता का उपदेश दिया था। गीता (Geeta) जैसे महान ग्रंथ का प्रादुर्भाव होने के कारण इस दिन को गीता जयंती (Geeta Jayanti) भी कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण के मुख से प्रकट हुई गीता को सभी वेदों (Vedas) और उपनिषदों (Upanishads) का सार कहा जाता है। इसी वजह से इस एकादशी का महत्व हजारों गुना ज्यादा होता है। गीता (Geeta) का ज्ञान हमें दुःख (Grief), क्रोध (Anger), लोभ (Greed) व अज्ञानता (Ignorance) से बाहर निकालने के लिए प्रेरित करता है।

तुलसी मंजरी से हो पूजन (Worship should be done with Tulsi Manjari)
इस दिन गंगा (Ganga) आदि पवित्र नदियों (Holy Rivers) में स्नान व भगवान विष्णु (Lord Vishnu) पूजन का विशेष महत्त्व है। इस दिन श्री हरि (Sri Hari) को प्रिय तुलसी (Tulsi) की मंजरी तथा पीला चन्दन (Yellow sandalwood), रोली (Roli), अक्षत (Akshat), पीले पुष्प (Yellow Flowers), ऋतु फल (Seasonal Fruits) एवं धूप-दीप (Incense-Lamp), मिश्री (sugar candy) आदि से भगवान दामोदर (Lord Damodar) का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी तोडना वर्जित माना जाता है। इसी वजह से एक दिन पहले ही तुलसी तोड़ कर रख लें। इस दिन श्रीमद्भगवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) की सुगंधित फूलों से पूजा करके गीता का पाठ करना चाहिए। गीता पाठ करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते है। साथ ही उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी तिथि मुहूर्त (Ekadashi Tithi Muhurta)
हिंदू पंचांग के मुताबिक, मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 03 दिसंबर 2022, शनिवार को सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 04 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर होगा।

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