देवभूमि में विकास बना विनाश का कारण, जानें क्यों मकानों को छोड़ने पर मजबूर है जोशीमठ के लोग

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ में विकास ही विनाश का कारण बन रहा है। जोशीमठ (Joshimath) में मकान फट रहे हैं, सड़कें धंस रही हैं। जिसके कारण लोग डरे हुए है। जैसे तिनका-तिनका जोड़कर चिड़िया अपना घोंसला बनाती हैं। ठीक वैसे ही अपनी पूरी ज़िंदगी देकर इंसान घर बनाता हैं। ऐसे में अचानक से अपने घरों को छोड़कर जाने पर लोगों का जो दर्द है वो कोई नहीं समझ सकता। लेकिन, अपनी जान बचाने के लिए लोग अपने घरों को छोड़कर जाने को मजबूर है।
जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसान की घटनाएं मुसीबत बन गई हैं। जोशीमठ हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत उत्तराखंड के ‘गढ़वाल हिमालय’ (Garhwal Himalaya) में 1890 मीटर की ऊंचाई पर है। यह एक छोटा सा शहर है। जिसकी आबादी 20,000 से ज्यादा है। शहर एक नाजुक पहाड़ी ढलान पर बना हुआ है जो कथित तौर पर अनियोजित और अंधाधुंध विकास परियोजनाओं (Development Projects) के चलते संकट से घिर गया है। यहां हाल के वर्षों में निर्माण और जनसंख्या दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। हाल में यहां जमीन धंसने का सिलसिला शुरू हुआ और अब स्थिति डरा रही है। इलाके के 500 से ज्यादा घरों में दरारें आ गई है, जमीन फटने लगी है और सड़कें धंस रही हैं।
जमीन धंसने के कारण उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने गुरुवार को जोशीमठ में और उसके आसपास के इलाकों में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी। कथित तौर पर निर्माण कार्यों के कारण इलाके के 561 घरों में दरारें आ गईं, जिससे घबराए स्थानीय लोगों ने विरोध किया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रो पावर (Hydro Power) प्रोजेक्ट की वजह से ही यह मुसीबत पैदा हुई है। जोशीमठ में होटल और ऑफिस, सब ढह रहे हैं। यहां लोगों के पास दो ही विकल्प हैं, या तो अपना घर छोड़ दें या फिर अपनी जान खतरे में डालकर इलाके में रहें। तो ऐसे में लोग अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़ रहे है।