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ट्रंप के बुलावे को क्यों पीएम मोदी ने कर दिया रिजेक्ट, जानिए पूरी कहानी

पीएम मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इस आग्रह को नम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया।

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के रिश्तों में हाल ही में हल्की खटास देखी गई है, और इसका असर अब राजनयिक स्तर पर भी नजर आने लगा है। इसी कड़ी में एक बड़ी खबर सामने आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के न्योते को विनम्रता से ठुकरा दिया है।दरअसल, पीएम मोदी (PM Modi) इन दिनों कनाडा में आयोजित G7 सम्मेलन (G7 Summit) में भाग लेने गए हुए हैं। इसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। बातचीत के अंत में ट्रंप ने मोदी से एक निजी आग्रह किया—कनाडा से लौटते समय अमेरिका आने का प्रस्ताव।

लेकिन पीएम मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इस आग्रह को नम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि उनकी यात्रा पहले से तय कार्यक्रमों के अनुसार है और वह उसमें बदलाव नहीं कर सकते।

अमेरिका की मध्यस्थता पर भारत की आपत्ति

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के हालिया रवैये को लेकर भारत में असंतोष है। खासतौर पर पाकिस्तान को लेकर ट्रंप की बार-बार की गई टिप्पणियों और मध्यस्थता की पेशकश पर भारत ने स्पष्ट आपत्ति जताई थी।

प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि भारत को पाकिस्तान के साथ किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। भारत हमेशा से द्विपक्षीय बातचीत के पक्ष में रहा है और उसने कभी किसी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ का संदेश

बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी भी राष्ट्रपति ट्रंप को दी और स्पष्ट किया कि यह पाकिस्तान के अनुरोध पर रोका गया था, न कि अमेरिका की किसी व्यापारिक या मध्यस्थता की पेशकश के कारण।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को अब नतीजे भुगतने होंगे। बातचीत करीब 35 मिनट तक चली, जिसमें प्रधानमंत्री ने दो टूक शब्दों में भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी।

ट्रंप के निमंत्रण को पीएम मोदी द्वारा अस्वीकार करना केवल एक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक राजनयिक संकेत है कि भारत अपनी संप्रभुता और विदेश नीति को लेकर स्पष्ट और आत्मनिर्भर दृष्टिकोण अपनाए हुए है। यह संदेश अमेरिका और दुनिया के बाकी देशों के लिए भी है कि भारत किसी भी दबाव में नहीं, बल्कि अपने हितों के अनुसार निर्णय लेता है।

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