
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा (BJP) की कमान अब ऐसे नेता के हाथों में आ गई है, जिनका नाम इस दौड़ में सबसे ऊपर नहीं था, लेकिन जब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने बैतूल के विधायक हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया, तो यह तय हो गया कि BJP अब ‘चर्चा से नहीं, चरित्र से नेतृत्व’ की राह पर चल रही है।
राज्य में पार्टी नेतृत्व को लेकर महीनों से चर्चा चल रही थी। तमाम बड़े नामों की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन जब हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने स्वयं उनके नाम का प्रस्ताव रखा, तो यह संकेत स्पष्ट था कि वे शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री दोनों की पसंद हैं।
संघ की मुहर और संतुलनकारी नेतृत्व
सूत्रों की मानें तो खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) को यह जिम्मेदारी मिलने में संघ (RSS) की सहमति ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। यह भी माना जा रहा है कि संघ और संगठन के बीच बेहतर समन्वय की दृष्टि से खंडेलवाल को सामने लाया गया है। मुख्यमंत्री और संगठन के बीच तालमेल को मजबूत करना उनके कार्यकाल की पहली कसौटी होगी।
तीन साल की पारी, पहली चुनौती – नियुक्तियां
हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। उनके सामने पहली बड़ी चुनौती राज्य के निगम-मंडलों के रिक्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां होंगी, जिन्हें लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ और महत्वाकांक्षी नेता सक्रिय हो गए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि खंडेलवाल इन नियुक्तियों में संतुलन कैसे साधते हैं और संगठन की प्राथमिकताओं को किस तरह साधते हैं।
2028 और 2029 की अहम ज़िम्मेदारी
उनके नेतृत्व में भाजपा को 2028 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव की रणनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करनी है। पूर्व अध्यक्ष बी.डी. शर्मा के कार्यकाल में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी, अब खंडेलवाल को उसी लय को बरकरार रखना है। साथ ही, नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करना भी उनकी अगली चुनौती होगी।
‘कम बोलो, ज़्यादा करो’ वाली छवि
प्रदेश भाजपा के 28वें अध्यक्ष के तौर पर हेमंत खंडेलवाल को एक ऐसा नेता माना जाता है जो विवादों से दूर रहते हैं, काम को प्राथमिकता देते हैं और कभी आत्मप्रचार के मोह में नहीं फंसते। उन्होंने कभी ऐसे बयान नहीं दिए जो विवाद खड़ा करें। वे ‘बात कम, काम ज़्यादा’ की नीति में विश्वास रखते हैं।
कार्यकर्ताओं को मिला स्पष्ट संदेश
पार्टी की कमान संभालते ही खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) ने एक स्पष्ट संदेश दिया — “जो पार्टी के प्रति समर्पित हैं, उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा, लेकिन जो दाएं-बाएं करने के आदी हैं, उनके लिए यह कार्यकाल कठिन होने वाला है।” यह संदेश न केवल संगठनात्मक अनुशासन का संकेत है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि वे भाजपा की विचारधारा और नीतियों के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही असली ताकत मानते हैं।
भाजपा के हाईकमान का समर्थन, मुख्यमंत्री (CM Mohan Yadav) से मधुर संबंध और संघ का आशीर्वाद — ये तीन शक्तिशाली स्तंभ हेमंत खंडेलवाल (Hemant Khandelwal) को न केवल कुर्सी तक लाए हैं, बल्कि उन्हें प्रदेश भाजपा का एक सशक्त, भरोसेमंद और स्थिर नेतृत्व प्रदान करने की जिम्मेदारी भी दी है। अब देखना होगा कि ‘लो प्रोफाइल लेकिन हाई पावर’ के इस फॉर्मूले से भाजपा को किस तरह की नई दिशा और गति मिलती है।