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आज है नाग पंचमी: क्या आप जानते हैं इस पावन पर्व के पीछे की रोचक कहानी?

भगवान शिव के गले में वासुकी नाग, श्रीकृष्ण के शयन स्थान शेषनाग, और देवताओं के समुद्र मंथन में नागों की भूमिका—यह सब नागों की दिव्यता को दर्शाते हैं।

 

नई दिल्ली। आज नाग पंचमी का पावन पर्व देशभर में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में नागों की पूजा का यह विशेष दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागदेवता को दूध, फूल, कुश और दूब चढ़ाकर विशेष पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाग पंचमी मनाने के पीछे एक प्राचीन और दिलचस्प कथा जुड़ी हुई है?

कहानी: एक किसान की पुत्रवधु और नाग देवता

प्राचीन काल में एक गांव में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। उसके तीन बेटे और एक पुत्रवधु थी। एक दिन खेत जोतते समय किसान ने नागों के बिल में हल चला दिया, जिससे तीन नाग मारे गए। इसका बदला लेने के लिए नागों की माता—नागिन—रात को गुस्से में आकर किसान, उसकी पत्नी और दो बेटों को डंस लेती है।

अगले दिन जब उसकी पुत्रवधु यह दृश्य देखती है, तो उसे गहरा दुख होता है। वह अपनी सास-ससुर और देवरों के शवों के पास बैठकर रोने लगती है और नाग माता से क्षमा मांगती है। वह दूध, फूल और पूजा-पाठ के साथ नाग माता की आराधना करती है।

पुत्रवधु की श्रद्धा और पश्चाताप से प्रसन्न होकर नागिन उसे क्षमा कर देती है और पूरे परिवार को जीवनदान दे देती है।

तभी से शुरू हुई नाग पंचमी की परंपरा

कहा जाता है कि तभी से श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग देवता की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाया जाता है, ताकि उनके कोप से बचा जा सके और संतान की रक्षा हो सके।

नाग पंचमी के दिन क्या करें?

नाग देवता को दूध, चावल, कुश और दूब अर्पित करें।

सर्प चित्र या मिट्टी से बनाए नाग की पूजा करें।

इस दिन भूमि खोदना या खेती करना वर्जित माना जाता है।

“ॐ नमः शिवाय” और “नाग स्तोत्र” का पाठ लाभदायक होता है।

भाई-बहनों के बीच प्रेम की भी यह एक प्रतीक तिथि मानी जाती है।

नाग देवता का महत्व

नाग हिंदू धर्म में शक्ति, समृद्धि और संरक्षण के प्रतीक माने जाते हैं। भगवान शिव के गले में वासुकी नाग, श्रीकृष्ण के शयन स्थान शेषनाग, और देवताओं के समुद्र मंथन में नागों की भूमिका—यह सब नागों की दिव्यता को दर्शाते हैं।

नाग पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति के साथ संतुलन, पशुओं के प्रति करुणा और पारिवारिक भावनाओं से जुड़ा संदेश भी देता है। आइए, इस नाग पंचमी पर हम भी प्रकृति के इन रक्षक प्रतीकों को सम्मान देकर अपने जीवन में शांति और समृद्धि का स्वागत करें।

 

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