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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की 18 दिवसीय अंतरिक्ष यात्रा पूर्ण, सफलतापूर्वक लौटे धरती पर

नई दिल्ली / सैन डिएगो। भारतीय समयानुसार 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3:00 बजे भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा का समापन हुआ। वह ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए। शुभांशु, अमेरिका की एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित AX-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए थे और वह ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।

14 दिन का मिशन 18 दिन चला
यह मिशन मूलतः 14 दिनों का निर्धारित था, लेकिन कुछ तकनीकी आवश्यकताओं के चलते इसे 18 दिन तक बढ़ा दिया गया। इस दौरान शुभांशु व उनके तीन अंतरिक्ष यात्री साथियों ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से 7 प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रस्तावित थे।

महत्वपूर्ण प्रयोग और वैज्ञानिक अध्ययन
माइक्रोएल्गी प्रयोग: शुभांशु ने अंतरिक्ष में ऐसे जैविक सैंपल पर काम किया जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल का स्रोत बन सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक अध्ययन:

एक अध्ययन में यह जांचा गया कि अंतरिक्ष यात्री कैसे शून्य गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में मानसिक रूप से समायोजन करते हैं।

मस्तिष्क में रक्त प्रवाह पर अध्ययन:

इस प्रयोग से अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ पृथ्वी पर रोगियों के इलाज में मदद मिलने की संभावना है।

263 किलो वैज्ञानिक डेटा के साथ लौटे
शुभांशु शुक्ला 263 किलोग्राम वैज्ञानिक सामग्री और डेटा के साथ लौटे हैं। ड्रैगन यान 580 पाउंड (करीब 263 किलो) से अधिक वजन के सामान और सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर धरती पर उतरा।

इसरो के लिए मिशन क्यों है खास?
यह मिशन भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गगनयान मिशन 2027 में लॉन्च होने की तैयारी में है। शुभांशु के अनुभव और डेटा से भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को महत्वपूर्ण दिशा मिलेगी। मिशन की कुल लागत लगभग ₹550 करोड़ बताई जा रही है।

10 दिन का पृथ्वी पर रिहैब और आइसोलेशन
धरती पर लौटने के बाद शुभांशु को 7 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा और उसके बाद फ्लाइट सर्जन की निगरानी में एक विशेष रिहैब प्रोग्राम चलेगा। इस दौरान उन्हें कई चिकित्सकीय, शारीरिक और मानसिक परीक्षणों से गुजरना होगा। भारत लौटने से पहले उनकी संपूर्ण स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है, बल्कि आने वाले समय में मानव अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी के लिए एक वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक आधार भी प्रदान करती है। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और नई ऊंचाई हासिल की है।

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