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जानें क्या होता है BLACK BOX और क्यों विमान हादसे के बाद उसकी जांच की जाती है?

जब भी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसमे यात्रा कर रहे यात्रियों का बच पाना भी मुश्किल होता है क्योंकि विमान जब इतनी ऊंचाई से गिरता है, तो वह क्षतिग्रस्त हो जाता है और उसमे आग लग जाती है। घटना के बाद ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है. जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो हर सेकेण्ड एक बीप की आवाज लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है. इस आवाज की उपस्थिति को जाँच एजेंसीयो द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है. इसको फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी कहते है। विमान में उड़ान के दौरान विमान से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों जैसे विमान की दिशा, ऊंचाई , ईंधन, गति , हलचल , केबिन का तापमान सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी इकट्ठी रखता है।

ब्लैक बॉक्स क्या है ?
ब्लैक बॉक्स किसी भी प्लेन का जरूरी हिस्सा होता है। इसको सुरक्षा की दृष्टि से प्लेन में रखा जाता है। यह वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है। इसलिए इसको विमान का डाटा रिकॉर्डर भी कहते है। यह ब्लैक बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना हुआ होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है। ताकि अगर ज्यादा ऊंचाई से गिरे तो इस बॉक्स को हानि न पहुंचे।

कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स
विमान से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों जैसे विमान की दिशा, ऊंचाई , ईंधन, गति , हलचल, केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है। यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है। ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है। जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो प्रत्येक सेकण्ड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है. इस आवाज की उपस्थिति को ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है। इस आवाज की उपस्थिति को जाँच एजेंसियों द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है। आवाज,आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है; ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था। ब्लैक बॉक्स का रंग काला नहीं बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि उसको ढूंढने में आसानी हो सके। इसकी खास बात है कि यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेत भेजता रहता है।

कब से लगाया जाने लगा विमानों में ब्लैक बॉक्स
जब 1950 के करीब विमान हादसे बढ़ने लगे ,तो लगभग 1953-54 के करीब एक्सपर्ट्स ने विमान में एक ऐसे उपकरण को रखने की बात की जो विमान हादसे के कारणों की जानकारी दे सके ताकि भविष्य में होने वाले हादसों से बचा जा सके। इसी को देखते हुए विमान के लिए ब्लैक बॉक्स को बनाया गया। शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण इसको ‘रेड एग’ नाम दिया था। शुरूआती दिनों में बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, तो अंदाज़ा लगाया जाता है कि इसी कारण इसको ब्लैक बॉक्स कहते है। खोज के तुरंत बाद, हर विमान में ब्लैक बॉक्स लगाए जाने लगे। इसे हर विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है ताकि दुर्घटना होने पर भी ब्लैक बॉक्स सुरक्षित रहे। क्युकी विमान का पिछले हिस्सा दुर्घटना के समय कम क्षतिग्रस्त होता है।

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