Ganesh Chaturthi 2023: क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी ? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी भारत का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. यह उत्सव भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है, जो कि हिन्दू धर्म के प्रथम पूजनीय देवता हैं, जिन्हें बुद्धि के देवता तथा भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है. भारत के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा आदि राज्यों में, गणेश उत्सव बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है.
जानें क्यों मनायी जाती है गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाए जाने के पीछे कारण यह है कि गणेश चतुर्थी के दिन महादेव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में गणेश जी का जन्म हुआ था. इसीलिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हर साल गणेश उत्सव के रूप में इस त्यौहार को मनाया जाता है.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार- महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी से उनके द्वारा कहे जाने वाले महाभारत के श्लोकों को लिपिबद्ध करने को कहा. जिसके बाद चतुर्थी के दिन व्यास जी श्लोक बोलना और गणेश जी उन श्लोको को लिपिबद्ध करना शुरू कर देते हैं. गौरी पुत्र गणेश बिना रूके लगातार 10 दिनों तक महाभारत के श्लोको को लिखते रहते हैं.जिसके कारण उनके ऊपर धूल-मिट्टी की परत चढ़ जाती है. इस परत को साफ करने के लिए वह 10वें दिन सरस्वती नदी में स्नान करते हैं तभी से गणेश जी की प्रतिमा को 10वें दिन बिसर्जित करने की और इस त्यौहार को मनाने की शुरूआत हुई.
2023 में क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में महादेव के पुत्र गणेश को प्रथम पूज्य देवता और बुद्धि एवं विवेक का दाता माना जाता है. हिन्दू ग्रन्थो के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि में स्वाति नक्षत्र में तथा सिंह लग्न में दोपहर के समय में हुआ था.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 02:09 मिनट पर होगी और 19 सितंबर 2023 को दोपहर 03:13 मिनट पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदय तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी की शुरुआत 19 सितंबर को होगी. ऐसा कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने से श्राप लगता है.
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. इसी दिन बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है. इस साल गणेश विसर्जन गुरुवार 28 सितंबर 2023 को किया जाएगा.
पूजा के साथ अब पर्यावरण का भी ख्याल
भगवान गणेश को इन नामो से भी जाना जाता है जैसे – गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड, सिद्धि विनायक आदि. ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी का पर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है. बुद्धि के देवता गणेश का यह उत्सव का यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. सभी अपने घरों, गली-मोहल्ले अथवा मन्दिरो में गणपति की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और सुंदर पंडाल सजाए जाते हैं. त्योहार के आखिरी दिन अनंत चतुर्दशी पर, गणेश विसर्जन दिवस के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन ढोल-नगाड़ों के साथ जुलूस निकाले जाते हैं और पारंपरिक रूप से गणपति की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है.
आज कल ईको-फ्रेन्डली(Eco-Friendly) मूर्तियों के प्रति काफी जागरूक हो रहे हैं, जो कि पर्यावरण के लिए एक अच्छी बात है.
हाल ही के वर्षों मे त्योहार के पर्यावरणीय प्रभाव, विशेष रूप से गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों से बनी मूर्तियों के विसर्जन के बारे में जागरूकता बढ़ रही है. मिट्टी की मूर्तियों का इस्तेमाल करके और जल प्रदूषण को कम करके लोग त्योहारों को पर्यावरण अनुकूल बना रहे हैं