Himachal Pradesh: हिमाचल में जीतते ही कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें, तकरार पर तकरार, आखिर कैसे बनेगी सरकार?

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) को पूर्ण बहुमत तो मिला, लेकिन नेतृत्व पर विधायक ‘एकमत’ नहीं हैं। अब सियासी कलह राजस्थान (Rajasthan) और पंजाब (Punjab) की तरह हिमाचल प्रदेश में भी सामने आ रहा है। कांग्रेस ने सूबे की 68 विधानसभा सीटों में से 40 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। चुनावी जीत के क्रेडिट को लेकर कांग्रेस में सियासी खींचतान और गुटबंदी चल रही है। मुख्यमंत्री पद की सबसे प्रबल दावेदार वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) हैं। उन्होंने कहा, कि यह चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा गया है, इसलिए सूबे की कमान उन्हें ही सौंपी जाए। वैसे भी वह राज्य से कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। बता दें कि प्रतिभा सिंह के अलावा सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) भी सीएम पद के दावेदार हैं।
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कितने दावेदार? (How many contenders for the post of Chief Minister in Himachal Pradesh?)
मुख्यमंत्री पद (Chief Ministership) के लिए राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh), पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) और निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री तीनों रेस में है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के बयानों ने साफ कहा है, कि वे सीएम पद की रेस में नहीं हैं। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि ज्यादातर लोग चाहते हैं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू को नेतृत्व सौंपी जाए। इसमें कुछ प्रतिभा सिंह के समर्थक भी हैं और कुछ मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) के। इसी वजह से कांग्रेस का पर्यवेक्षक दल यह सोच ही नहीं पा रहा है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए?
बता दें कि कांग्रेस की जीत का सारा क्रेडिट प्रतिभा सिंह ले रही हैं। उनके एक बयान से कांग्रेस मुसीबत में पड़ गई है। प्रतिभा सिंह ने कहा, कि मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार वही हैं। उन्होंने अपने पति और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का हवाला देते हुए दावेदारी पेश की। अब वे मुख्यमंत्री बनती हैं या नहीं इसका फैसला तो मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे। मुख्यमंत्री पद की रेस से न तो सुखविंदर सिंह सुक्खू बाहर हुए हैं, न ही प्रतिभा सिंह। दोनों मुख्यमंत्री बनने के लिए अड़े हुए हैं। इसको लेकर कांग्रेस पर्यवेक्षक भी असमंजस में हैं, कि क्या करें क्या न क्या करें।