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ट्रंप ने भारत पर कितना टैरिफ लगाया? जानिए पाकिस्तान-बांग्लादेश और चीन से तुलना।

Donald Trump India tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार 6 अगस्त 2025 को भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। ट्रंप ने भारत के प्रति सख्त रवैया दिखाया है।ट्रंप रूस के साथ भारत के व्यापार संबंधों को लेकर नाराज हैं। हैरानी वाली बात यह है कि ट्रंप ने भारत पर चीन से भी कहीं ज्यादा टैरिफ लगा दिया है। अमेरिका चीन के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश पर भी मेहरबान है।

अमेरिका ने ब्राजील पर पहले 50% टैरिफ लगाया था। वहीं भारत पर 25% ही टैरिफ था, लेकिन अब भारत के टैरिफ को 25% प्रतिशत और बढ़ा दिया है। इस तरह उस पर कुल 50 टैरिफ लग गया है।भारत और ब्राजील सबसे ज्यादा टैरिफ वाले देश बन गए हैं। तीसरे नंबर स्विटरजैंड है। उस पर 39% टैरिफ लगा है।वहीं कनाडा पर 35% टैरिफ लगा है।

चीन पर कितना कम लगा है टैरिफ
अमेरिका ने चीन पर 30% टैरिफ लगाया है। भारत के मुकाबले 20% कम है ।ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच टैरिफ को लेकर काफी तनाव बढ़ गया था, लेकिन फिलहाल मामला 30% पर रुका हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश पर मेहरबान ट्रंप सरकार
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच नजदीकी बढ़ती नजर आ रही है।पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर दूसरी बार अमेरिका दौरे पर जाने के लिए तैयार हैं।अगर टैरिफ की बात करें तो इसमें पाकिस्तान को काफी रियायत मिली है। ट्रंप ने पाक पर 19% टैरिफ लगाया है। वहीं बांग्लादेश पर 20% टैरिफ लगाया गया है।

आखिर तनाव क्यों बढ़ा अमेरिका और भारत के बीच
दरअसल भारत और रूस के अच्छे रिश्ते हैं। वह रूस से काफी मात्रा में तेल खरीदता है। ट्रंप को इस बात से दिक्कत है कि भारत क्यों रूस से तेल खरीद रहा है। ट्रंप ने इसको लेकर कई बार धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि रूस अपनी कमाई का मोटा हिस्सा युद्ध में खर्च कर रहा है।
व्यापारिक मतभेद और टैरिफ विवाद
कुछ व्यापारिक मामलों में जैसे तकनीक, डेटा सुरक्षा और टैरिफ को लेकर भी दोनों देशों के बीच खींचतान बनी रहती है।

चीन के मुद्दे पर रणनीतिक मतभेद
हालांकि दोनों देश चीन को लेकर सतर्क हैं, लेकिन Indo-Pacific रणनीति, क्वाड ग्रुप और सैन्य साझेदारी जैसे मुद्दों पर भी सोच में कुछ अंतर है।

मानवाधिकार और लोकतंत्र पर मतभेद
अमेरिका अक्सर भारत पर मानवाधिकार, अल्पसंख्यक अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर टिप्पणी करता है, जिससे भारत नाराज हो जाता है। भारत इसे आंतरिक मामलों में दखल मानता है।

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