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कांवड़ यात्रा ‘नेम प्लेट’ विवाद पर सियासत गरम, सीएम धामी बोले – श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं

देहरादून/उत्तर प्रदेश। कांवड़ यात्रा के दौरान व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर नेम प्लेट लगाने को लेकर उठे विवाद ने सियासी रंग ले लिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में साफ कहा है कि कांवड़ यात्रा आस्था और श्रद्धा की यात्रा है, जिसमें हर वर्ष 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचते हैं।

उन्होंने कहा, “ये श्रद्धालु मां गंगा का पवित्र जल लेकर अपने-अपने क्षेत्रों को प्रस्थान करते हैं। ऐसे में उन्हें मिलने वाला भोजन पूरी तरह शुद्ध होना चाहिए। यात्रियों की सेवा और सुविधा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

प्रमोद तिवारी की अपील

इस मामले में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी बयान जारी करते हुए कहा, “कांवड़ यात्रियों की आस्था और उनकी यात्रा की पवित्रता का पूर्ण सम्मान होना चाहिए। उनकी यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक बने, यह सुनिश्चित करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए सभी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन अनिवार्य है।”

स्वास्थ्य सचिव का बयान

इस पूरे घटनाक्रम पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव और आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि इस बार यात्रा में लगभग 7 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलों में विशेष सतर्कता के निर्देश दिए हैं।

डॉ. कुमार ने कहा, “मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं कि श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य से कोई खिलवाड़ नहीं होगा। यात्रा मार्ग पर मौजूद सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को खाद्य लाइसेंस और पंजीकरण विवरण अपने पास रखना अनिवार्य होगा। इससे खाद्य सुरक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि सभी विक्रेता लाइसेंस प्राप्त हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच लगातार चलती रहेगी और यदि किसी भी प्रकार की कोताही पाई जाती है तो संबंधित के विरुद्ध सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।

क्या है ‘नेम प्लेट’ विवाद?

बताया जा रहा है कि कुछ स्थानों पर स्थानीय प्रशासन ने प्रतिष्ठानों को नेम प्लेट लगाने को कहा, जिसमें दुकानदारों के नाम और पंजीकरण संबंधी जानकारी स्पष्ट हो। इसे कुछ संगठनों ने धार्मिक पहचान के आधार पर जोड़ा, जिससे विवाद खड़ा हुआ।

कांवड़ यात्रा जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच संवाद और जिम्मेदारी आवश्यक है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना ही सभी संबंधित पक्षों का लक्ष्य होना चाहिए।

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