
उमरिया (मध्य प्रदेश)। अब तक आपने इंसानों के लिए आधार कार्ड और पहचान पत्र की बात सुनी होगी, लेकिन अब मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने एक अनोखी पहल करते हुए हाथियों को भी आई-कार्ड (पहचान पत्र) देने का फैसला किया है। यह निर्णय हाथियों की पहचान और उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
इस योजना के तहत रिजर्व क्षेत्र में मौजूद सभी 60 से 80 हाथियों की व्यक्तिगत पहचान बनाई जा रही है। इनमें से हर हाथी के बारे में विस्तृत जानकारी जैसे –
- उसका नाम (अगर कोई है)
- उम्र का अनुमान
- शारीरिक बनावट की खासियत
- व्यवहार पैटर्न
- शिकार/गश्त में उपयोग की जानकारी
- – और अन्य बायोमेट्रिक व फोटो पहचान विवरण शामिल किया जाएगा।
क्यों जरूरी है ये पहचान पत्र?
रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रणाली हाथियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य निगरानी और मानव-हाथी टकराव की घटनाओं को रोकने में कारगर साबित हो सकती है। इसके साथ ही, वनकर्मियों और महावतों को हाथियों की पहचान में आसानी होगी और उनके प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी।
तकनीक और संरक्षण का मेल
इस पहल को वन विभाग और संरक्षण विशेषज्ञों ने सराहा है। इसके जरिए हाथियों की गतिविधियों पर नियमित ट्रैकिंग संभव हो सकेगी, साथ ही भविष्य में उनकी सेहत संबंधी निगरानी और टीकाकरण जैसे कामों को भी आसानी से अंजाम दिया जा सकेगा।
एक उदाहरण बन सकता है
यह पहल देश के अन्य वन्यजीव अभयारण्यों के लिए एक मॉडल साबित हो सकती है, जहां वन्यजीवों के संरक्षण और उनकी नियमित निगरानी के लिए तकनीक और डेटा का उपयोग बढ़ता जा रहा है।