
पटना। बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाई हुई है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार (3 जुलाई) को पटना में प्रेस कांफ्रेंस कर एनडीए पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव लगभग तय हैं, लेकिन एनडीए पहले ही हार मान चुकी है।
मतदाता सूची पर उठाए सवाल
पारस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “आखिर 30 दिन में यह प्रक्रिया कैसे पूरी होगी? इससे गरीब, दलित और वंचित तबकों का मताधिकार छिन जाएगा। जिन दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वह गरीबों के पास नहीं हैं।”
उन्होंने इस प्रक्रिया को वोट कटाने की साजिश बताते हुए चेतावनी दी कि अगर यह अभियान बंद नहीं हुआ, तो वे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और गांव-गांव में आंदोलन करेंगे। उन्होंने दावा किया कि वे अब तक राज्य के 25 जिलों का दौरा कर चुके हैं और जल्द ही बाकी जिलों का भी दौरा करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने राज्यभर में दलित महापंचायतों के आयोजन की बात कही, जिसके ज़रिए वे सरकार के खिलाफ जनसंपर्क अभियान चलाएंगे।
महागठबंधन में जाने के संकेत, तेजस्वी-लालू से संपर्क
सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल इस बात को लेकर रही कि पारस ने एनडीए से दूरी बनाकर अब महागठबंधन में शामिल होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा, “मेरी तेजस्वी यादव से फोन पर बात हो चुकी है और जल्द ही लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात करूंगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी कोई व्यक्तिगत शर्त नहीं है और उनका एकमात्र उद्देश्य सत्ता परिवर्तन है। हमारा सपना है सत्ता परिवर्तन का। 1977 से लालू परिवार से संबंध है। महागठबंधन में सीटों को लेकर बातचीत होगी, लेकिन हम जो भी करेंगे, वह बिहार के हित में होगा।
राजनीतिक संकेत साफ, एनडीए में दरार गहरी
पशुपति पारस का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार की राजनीति में गठबंधन और समीकरणों की तस्वीर बदलती नजर आ रही है। उनके इस रुख से साफ है कि एनडीए में भीतरी असंतोष गहराता जा रहा है, और महागठबंधन के पक्ष में नए दरवाजे खुल सकते हैं।