BSP सांसद के घर पहुंचे राहुल गांधी, बोले ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ लेकर आया

लोकसभा में BJP सांसद रमेश बिधूड़ी के अभद्र भाषण से गर्माए मामले के बीच शुक्रवार को राहुल गांधी ने पीड़ित BSP सांसद कुंवर दानिश अली के घर पहुंचे. दानिश अली से गले मिलकर उन्हे सांत्वना दी. इस दौरान बसपा सांसद काफी भावुक नजर आए. राहुल गांधी से जब इस मुलाकात की बजह पूछे जाने पर वह अपना पुराना डायलॉग दोहराते हुए बोले- ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान यह डायलॉग उनका ट्रेडमार्क बन गया था. इस वाक्य से राहुल ने केन्द्र सरकार पर कई बार व्यंगात्मक वार किए. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी दानिश अली से राहुल गांधी की मुलाकात में शामिल थे.
मुलाकात के बाद दानिश अली बोले, राहुल ने मेरा हौसला बढ़ाया
राहुल से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत दानिश अली ने कहा- राहुल से मिलकर राहुल ने मेरा हौसला बढ़ाया. उन्होंने मुझे इन बातों को दिल से नहीं लगाने की सलाह, साथ ही मुझे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने को कहा. उनसे मिलकर मुझे ऐसा लगा कि मैं अकेला नहीं हूं. मुझे उनसे बात कर के अच्छा लगा ओर दिल को थोड़ी राहत मिली. इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने ट्विटर पर ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ कैप्शन डालते हुए दानिश के साथ कुछ तस्वीरें शेयर की.
जिसमें वह दानिश को गले लगाते और हांथ मिलाते नजर आ रहे हैं.
दानिश अली ने बिधूड़ी के बयान को लोकतंत्र और संविधान पर हमला बताते हुए कहा- रमेश बिधूड़ी का कमेंट मेरे बजाय लोकतंत्र और भारतीय संविधान के खिलाफ है. यह बयान लोकतंत्र और संविधान पर हमला है, ‘अब तक सड़कों पर खुल रही नफरत की दुकान अब अमृतकाल के दौरान संसद में भी खोली जा रही है’. भारत की लोकसभा हमारी संरक्षक है. फिर भी अगर बिधूड़ी पर कार्रवाई नहीं हुई तो मैं संसद की सदस्यता को छोड़ दूंगा.
दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखा है पत्र
दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है. इस पत्र उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर शेयर करते हुए लिखा, ‘लोकसभा में हुई यह घटना ऑनरिकॉर्ड है. मै आशा करता हूं कि लोकसभा स्पीकर इस पर एक्शन लेगें. अगर इस घटना पर कार्रवाई न हुई तो मैं लोकसभा सदस्यता छोड़ने पर विचार करूंगा. दानिश ने पत्र में आगे लिखा, बिधूड़ी ने मेरे खिलाफ जो आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की, वो सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है. इस घटना के बाद मैं पूरी रात सो नहीं पाया. मेरी रूह कांप रही थी. पहली बार किसी संसद सदस्य के खिलाफ ऐसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल हुआ है. जब एक MP को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है तो देश में आम आदमी के साथ क्या होता होगा? क्या हमें इसीलिए चुना गया था? क्या देश की आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने इसीलिए बलिदान दिया था?