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भूकंप के झटको से दहला तुर्की, दिल्ली में तेज़ भूकंप आया तो क्या होगा ?

भूकंप के झटको से दहला तुर्की अबतक के आंकड़ों के मुताबिक लगभग चार हजार लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में भूकंप का पहला झटका सोमवार सुबह करीब 4:15 बजे आया भूकंप का केंद्र गजियांटेप इलाके में था, जो सीरिया बॉर्डर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर है। सीरिया में भी भूकंप ने भारी तबाही मचाई। सोमवार तड़के ही सीमा के दोनों ओर के लोग भूकंप के झटके से उठ खड़े हुए। गगनचुंबी इमारतें भूकंप के झटकों से हिलने लगी। इस आपदा में बड़े पैमाने पर लोग जान गंवा चुके हैं। प्रशासन ने बड़े पैमाने पर प्रभावित कई शहरों में राहत एवं बचाव कार्य जारी रखा है। भूकंप में तुर्की का अस्पताल और कई मकान तास के पत्तो की तरह ढह गए। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोगन ने भूकंप के मद्देनजर आपात बैठक की, जिसमें भूकंप पीड़ितों के लिए हरसंभव मदद की पेशकश की है।

आपको बता दें कि पीएम मोदी के निर्देश पर तुर्की को तत्काल सहायता देने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने अहम बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ है कि तुर्की की यथासंभव मदद की जाएगी। अबतक के खबर के मुताबिक रिसर्च और रेस्क्यू अभियान के लिए NDRF और मेडिकल टीम तुर्की भेज दी गई है। इसके साथ राहत सामग्री भी जल्द से जल्द तुर्की के लिए रवाना की गई है। इस कार्य से पीएम मोदी की दुनियाभर में तारिफें हो रही है।

अब एक बार नजर डालते है अपने देश की राजधानी दिल्ली पर
भगवान न करे कि दिल्ली को कभी ऐसा कुछ झेलना पड़े लेकिन अगर कभी ऐसा कुछ हो जाए तो उसके लिए हम कितने तैयार है दिल्ली के आसपास कई बार कम तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस होते रहते है। दिल्ली को जिस जोन में रखा गया है, उससे आशंका जताई जा रही है कि दिल्ली में 7 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते हैं। इससे भारी तबाही भी हो सकती है।

भू-विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली में अगर 6 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है, तो यहां बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि हो सकती है। दिल्ली की आधी इमारतें इस तेज झटके को झेल पाने में सक्षम नहीं है। वहीं, कई इलाकों में घनी आबादी की वजह से बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में साल 2015 में आए 7.8 के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी।

यहां खतरा सबसे ज्यादा

वहीं, सिस्मिक हजार्ड माइक्रोजोनेशन ऑफ दिल्ली की एक रिपोर्ट में राजधानी को तीन जोन में बांटा गया है। इसमें ज्यादा खतरे में यमुना नदी के किनारे के ज्यादातर इलाके और कुछ उत्तरी दिल्ली के इलाके शामिल हैं। सबसे ज्यादा खतरे वाले जोन में दिल्ली यूनिवर्सिटी का नार्थ कैंपस, जहांगीरपुरी ,सरिता विहार, करोल बाग, गीता कॉलोनी, शकरपुर, रोहिणी, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, बवाना, जनकपुरी हैं।

वहीं, दूसरे सबसे बड़े खतरे वाले जोन में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नजफगढ़ और बुराड़ी शामिल हैं। दिल्ली का लुटियंस जोन हाई रिस्क वाला इलाका है। हालांकि यहां खतरा उतना ज्यादा नहीं है। इसमें संसद भवन, कई मंत्रालय और मंत्रियों के आवास हैं। वहीं, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, छतरपुर, नारायणा, हौज खास, एम्स सबसे सुरक्षित जोन में हैं।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली में इमारतों को भूकंप रोधी और उनकी मजबूती सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश पर 2019 में एक एक्शन प्लान भी बनाया गया था। इसके तहत दो साल में सभी ऊंची इमारतों और अगले तीन वर्ष में सभी इमारतों की ढांचागत मजबूती सुनिश्चित करने को कहा था, लेकिन यह काम अभी तक आधा भी नहीं हुआ है।

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