
Crude Oil Prices: खुशखबरी! पेट्रोल-डीजल की कीमत कम हो क्या पेट्रोल-डीजल की कीमत में होगी कमी ,ओपेक+ के एक फैसले पर ठहरी दुनिया की निगाहें।सकती है। 3 अगस्त को होने वाली ओपेक की बैठक में क्रूड ऑयल की सप्लाई को सितंबर में 548,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाने पर विचार किया जाएगा जिसे भारत सहित पुरी दुनियां पर इस फैसले का नजर दिखेगा।
Crude Oil Prices: ओपेक+ के 8 सदस्यों ने कच्चे तेल की सप्लाई 548,000 बैरल प्रतिदिन बढ़ाने पर सहमति दिया है। ओपेक+ अगस्त महीने से तेल की सप्लाई बढ़ाने जा रहा है। इससे पहले ओपेक ने मई, जून और जुलाई में क्रूड ऑयल की सप्लाई में 411,000 बैरल की बढ़ोतरी की घोषणा की थी।ओपेक+ के इस फैसले पर भारत सही दुनिया भर के बाजारों में देखने को मिलेगा। हाल ही में ओपेक+ में शामिल देशों ने अगस्त से पहले अपना प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला लिया।
भारत को मिलेगा फायदा।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक तेल का प्रोडक्शन बढ़ने से कीमतों में अचानक कमी आ सकती है। इससे भारत में भी पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों में भी राहत मिल सकती है। जिसे तेल की कीमतें कम होने पर इसका फायदा देश की आम जनता को मिलेगा। जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो सकती है।
आख़िर ओपेक और ओपेक+क्या है ?
OPEC (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) पेट्रोलियम का एक्सपोर्ट करने वाले 14 देशों का एक संगठन है, जिनमें सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत,वेनेजुएला, लीबिया, इंडोनेशिया, कतर, अल्जीरिया, नाइजीरिया, यूएई, इक्वैटोरियल गुआना, कांगो, अंगोला, इक्वैडोर और गैबॉन शामिल हैं। इसकी स्थापना 1960 में हुई थी।वहीं, ओपेक+ में इन 14 सदस्यीय देशों के अलावा अजरबैजान, कजाकिस्तान, मलेशिया, रूस, मैक्सिको, ओमान और सूडान जैसे गैर-ओपेक देश शामिल हैं।इसका गठन 2016 में हुआ।
ओपेक (OPEC):
पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries) है।
1960 में स्थापित, इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।
सदस्य देशों में सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, वेनेजुएला, आदि शामिल हैं मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय करना, तेल की कीमतों को स्थिर करना और तेल उत्पादन का प्रबंधन करना है। ओपेक देशों के बीच सहयोग और समन्वय के माध्यम से तेल बाजार को प्रभावित करने का प्रयास करता है।
ओपेक+ (OPEC+):
2016 में ओपेक देशों और गैर-ओपेक देशों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे ओपेक+ कहा जाता है।
यह ओपेक के 13 सदस्य देशों के साथ-साथ अन्य गैर-ओपेक देशों जैसे रूस, अजरबैजान, कजाकिस्तान, आदि को मिलाकर बनता है। ओपेक+ का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तेल बाजार को स्थिर करना और तेल की कीमतों को प्रभावित करना है, खासकर जब तेल की कीमतों में गिरावट आती है। ओपेक+ सदस्य देशों के बीच उत्पादन स्तरों पर सहमति बनाता है और तेल बाजार में आपूर्ति को समायोजित करने का प्रयास करता है।
मुख्य अंतर: क्या है?
ओपेक सिर्फ ओपेक सदस्य देशों का संगठन है, जबकि ओपेक+ में गैर-ओपेक सदस्य भी शामिल हैं।
ओपेक का ध्यान मुख्य रूप से सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों के समन्वय और तेल की कीमतों को स्थिर करने पर है, जबकि ओपेक+ का लक्ष्य वैश्विक तेल बाजार को स्थिर करना और तेल की कीमतों को प्रभावित करना है।
ओपेक+ अधिक शक्तिशाली है क्योंकि इसमें ओपेक के साथ-साथ अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देश भी शामिल हैं।