
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में बयानबाज़ी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब एक केंद्रीय मंत्री ही सार्वजनिक रूप से विपक्ष के नेता के लिए विवादास्पद टिप्पणी करता है, तो सवाल उठना लाज़िमी है – आखिर राजनीति में शालीनता और मर्यादा की सीमाएं क्या अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं? हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जो न केवल तीखी प्रतिक्रिया को जन्म देगा, बल्कि संसद और लोकतंत्र की गरिमा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। गिरिराज सिंह का यह बयान न सिर्फ व्यक्तिगत कटाक्ष था, बल्कि यह भारतीय राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर का भी प्रतीक बन गया है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने रविवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर जोरदार हमला बोला। उत्तर प्रदेश के महाकुंभ में भगदड़ की घटनाओं को लेकर राहुल गांधी द्वारा राज्य सरकार की आलोचना पर पलटवार करते हुए सिंह ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार “भारत विरोधी विदेशी एजेंसियों” पर भरोसा करते हैं, जो देश की छवि को नुकसान पहुंचाने का कार्य करती हैं।
गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी की हालिया सोशल मीडिया (Social Media) पोस्ट का हवाला देते हुए कहा, “राहुल गांधी चीनी दूतावास, पाकिस्तानी दूतावास और बीबीसी (BBC) की रिपोर्ट पर भरोसा करते हैं, लेकिन उन्हें अपने देश, अपनी सरकार और अपने तंत्र पर भरोसा नहीं है। यह उनके राजनीतिक दृष्टिकोण और उनकी विश्वसनीयता का सही प्रतिबिंब है।”
सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी का यह रवैया न केवल राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि यह भारत की वैश्विक छवि को धूमिल करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने हाल ही में महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ की घटनाओं और कथित मौतों की मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए इसे “सूचना छिपाने और लोगों को गुमराह करने की कोशिश” बताया था। उन्होंने एक विदेशी मीडिया रिपोर्ट को साझा करते हुए राज्य सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए थे।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गिरिराज सिंह ने कहा, “यह दुखद है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता अपने ही देश की मीडिया और एजेंसियों पर अविश्वास करता है और विदेशी एजेंडे को प्रमोट करता है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गिरिराज सिंह का यह बयान आगामी लोकसभा सत्र और चुनावी माहौल को देखते हुए और अधिक राजनीतिक सरगर्मी पैदा कर सकता है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह विवाद आगे और गहराता है। लेकिन यह तय है कि राहुल गांधी और गिरिराज सिंह के बीच यह वाकयुद्ध अब केवल संसद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सोशल मीडिया और चुनावी मंचों पर भी इसकी गूंज सुनाई देगी।