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Boing पर सोशल मीडिया में उठे सवाल, क्या मुनाफे की लालच में हुई सैकड़ों मौतें? जानिए पूरा मामला

14-15 साल पहले ड्रीमलाइनर में 13 से ज्यादा बैटरी ब्लास्ट की घटनाएं हुईं, जिनमें तीन बड़े विमान हादसे हुए।

 

नई दिल्ली। सोशल मीडिया (Social Media) पर एक बार फिर अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग (Boeing) को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि कंपनी ने तत्काल मुनाफा कमाने के लिए ऐसी रणनीति अपनाई जिसने 900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली, और बोइंग (Boeing) को “किलर प्लेन” (Killer Plain) कहे जाने की वजह दी। इस बहस को और हवा मिली जब अहमदाबाद से उड़ान भरने वाला एक बोइंग ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

एयरबस बनाम बोइंग: शुरुआत कहां से हुई?

जब यूरोपीय एयरोस्पेस कंपनी एयरबस ने A320neo विमान लॉन्च किया, तो यह दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया। कम लागत और उच्च दक्षता वाले इस विमान ने एयरलाइंस कंपनियों को आकर्षित किया और ऑर्डर की बाढ़ आ गई।

बोइंग पर दबाव बढ़ा कि वह प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए तुरंत कोई नया विमान लॉन्च करे। मगर विमान की डिजाइनिंग और विकास में लगने वाले वर्षों के समय और लागत से बचने के लिए बोइंग ने 737 मॉडल को थोड़ा बदलकर “737 MAX” नाम से नया विमान घोषित कर दिया।

खतरनाक बदलाव और ‘किलर सॉफ्टवेयर’

बोइंग ने पुराने 737 विमान में सिर्फ नया, बड़ा इंजन लगाया। यह इंजन ईंधन खपत तो कम करता था, लेकिन इसका साइज बड़ा होने के कारण विमान का संतुलन बिगड़ जाता था। इसका हल निकालने के लिए बोइंग ने M-CAS (Maneuvering Characteristics Augmentation System) नामक एक सॉफ्टवेयर तैयार किया, जो विमान के नोज़ को नीचे की ओर झुका देता था।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि बोइंग ने इस सॉफ्टवेयर की जानकारी न तो किसी एयरलाइन को दी और न ही पायलटों को इसकी ट्रेनिंग। नतीजा यह हुआ कि तीन विमान M-CAS की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गए और इन हादसों में 900 से अधिक लोगों की मौत हुई।

इनमें एक हादसा इंडोनेशिया में हुआ, जिसमें भारतीय पायलट थे। इसके अलावा चार अन्य विमान भी बाल-बाल बचे।

कंपनी को भारी नुकसान, लेकिन कोई मुआवजा नहीं

इन हादसों के बाद बोइंग को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी। 737 MAX के सभी विमान वापस ले लिए गए। कंपनी की छवि को भारी नुकसान हुआ और अरबों डॉलर का घाटा झेलना पड़ा। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि न तो अमेरिकी सरकार ने कंपनी पर कोई जुर्माना लगाया, और न ही मृतकों के परिवारों को कोई मुआवजा मिला।

ड्रीमलाइनर और किलर बैटरी

बोइंग की अगली पेशकश थी ड्रीमलाइनर, जिसे भी कॉस्ट कटिंग के चक्कर में खराब गुणवत्ता की बैटरियां लगाकर तैयार किया गया। 14-15 साल पहले ड्रीमलाइनर में 13 से ज्यादा बैटरी ब्लास्ट की घटनाएं हुईं, जिनमें तीन बड़े विमान हादसे हुए।

इसके बाद बोइंग को ड्रीमलाइनर को ग्राउंड करना पड़ा। बैटरियां बदली गईं, लेकिन फिर रडार सिस्टम और एक्चुएटर में खामियां सामने आईं और विमान को एक बार फिर जमीन पर लाना पड़ा।

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर यूजर्स सवाल उठा रहे हैं:

क्या बोइंग ने जानबूझकर लोगों की जान खतरे में डाली?

क्या मुनाफे की भूख ने कंपनी को अंधा कर दिया?

क्या अमेरिका की सरकार बोइंग को बचा रही है?

आपकी क्या है राय?

क्या आप मानते हैं कि इतनी बड़ी लापरवाही के लिए बोइंग को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए?
क्या पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए?
क्या बोइंग के विमानों में उड़ान भरना सुरक्षित है?

कमेंट में अपनी राय जरूर साझा करें।

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