प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर आपस में क्यों नहीं मिलते? जानिए विज्ञान क्या कहता है
प्रशांत और अटलांटिक महासागर का ना मिलना एक चमत्कार नहीं बल्कि प्राकृतिक विज्ञान और समुद्री भौतिकी का परिणाम है।

नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी पर दो बड़े महासागर — प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) और अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) — इतने विशाल होने के बावजूद आपस में पूरी तरह क्यों नहीं मिलते? देखने में ये पास-पास होते हैं, लेकिन इनका पानी कभी पूरी तरह से एकरूप नहीं होता। इसके पीछे छिपा है एक रोचक वैज्ञानिक कारण।
अलग-अलग जल गुणधर्म हैं बड़ी वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, इन दोनों महासागरों के जल का घनत्व, तापमान और लवणता (salinity) अलग-अलग होती है। यही अंतर इनके पानी को एक-दूसरे में आसानी से घुलने नहीं देता। उदाहरण के लिए, प्रशांत महासागर का पानी अपेक्षाकृत कम खारा और हल्का होता है, जबकि अटलांटिक महासागर का पानी ज्यादा खारा और घना होता है।
जलधाराओं की दिशा भी है अलग
इन महासागरों की जलधाराएं (Ocean Currents) भी अलग दिशा में बहती हैं। जब ये धाराएं एक-दूसरे से टकराती हैं, तो वे एक स्पष्ट सीमा बना देती हैं, जिससे इनका पानी आपस में पूरी तरह नहीं मिल पाता। यह सीमा एक अदृश्य दीवार जैसी काम करती है।
‘ओशन फ्रंट’ बनता है मिलन बिंदु पर
जहाँ ये दोनों महासागर मिलते हैं, वहाँ एक विशेष सीमा रेखा बनती है जिसे वैज्ञानिक “Ocean Front” कहते हैं। यह ओशन फ्रंट (Ocean Front) उस स्थान को दर्शाता है जहाँ दो अलग जलमंडल आपस में संपर्क में आते हैं, लेकिन उनकी विशेषताएँ एक-दूसरे में मिलती नहीं हैं। यह प्राकृतिक विभाजन समुद्र के रंग और बनावट में भी फर्क दिखाता है।
क्या ये पूरी तरह कभी मिलेंगे?
विज्ञान कहता है कि समय के साथ पानी का आपसी घुलाव जरूर होता है, लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि यह सतह पर स्पष्ट दिखाई नहीं देती। समुद्र के निचले स्तरों पर मिश्रण संभव है, लेकिन सतही जल की भिन्नताएं बनी रहती हैं।
प्रशांत (Pacific Ocean) और अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) का ना मिलना एक चमत्कार नहीं बल्कि प्राकृतिक विज्ञान और समुद्री भौतिकी का परिणाम है। यह घटना पृथ्वी के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है।