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उत्तर प्रदेश में बिजली महंगी होने की तैयारी: ग्रामीण दरों में 45% और शहरी दरों में 40% बढ़ोतरी का प्रस्ताव

इस प्रस्ताव पर 7 जुलाई से बिजली दर निर्धारण के लिए सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। पावर कॉर्पोरेशन ने ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 45 फीसदी और शहरी उपभोक्ताओं की दरों में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल कर दिया है।

इस प्रस्ताव पर 7 जुलाई से बिजली दर निर्धारण के लिए सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक करार देते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) से इसे पूरी तरह से खारिज करने की मांग की है। परिषद का कहना है कि इतनी बड़ी बढ़ोतरी उपभोक्ताओं पर अनुचित आर्थिक बोझ डालेगी, खासकर ऐसे समय में जब महंगाई और बेरोजगारी पहले से ही आम जनता को परेशान कर रही है।

परिषद के अध्यक्ष ने कहा, “यह प्रस्ताव पूरी तरह जनविरोधी है। ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं पर एक साथ इतना बड़ा भार डालना उचित नहीं है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग की कमर टूट जाएगी।”

प्रस्ताव की मुख्य बातें:

ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली दर में 45% तक वृद्धि का प्रस्ताव

शहरी उपभोक्ताओं के लिए 40% तक दरें बढ़ाने का प्रस्ताव

नियामक आयोग में संशोधित टैरिफ प्रस्ताव दाखिल

7 जुलाई से दर निर्धारण के लिए सुनवाई की प्रक्रिया शुरू

उपभोक्ताओं में बढ़ी चिंता

प्रस्ताव सामने आने के बाद से ही बिजली उपभोक्ताओं में चिंता और आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि पहले ही बिजली के बिल काफी ज्यादा आते हैं, अब और बढ़ोतरी से घरेलू बजट बिगड़ जाएगा।

अब सभी की निगाहें नियामक आयोग की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग जनता की आपत्तियों को कितनी गंभीरता से लेता है और पावर कॉर्पोरेशन के इस प्रस्ताव पर क्या फैसला देता है।

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