ओवैसी ने इस बार पाकिस्तान को धो डाला, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की तुलना कर दी अलकायदा से
पाकिस्तान सिर्फ दक्षिण एशिया के लिए नहीं, वैश्विक शांति के लिए खतरा: ओवैसी

नई दिल्ली/अल्जीयर्स: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस बार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने पाकिस्तान को “तकफीरिज्म का केंद्र” बताते हुए वहां सक्रिय आतंकी संगठनों की तुलना आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे खतरनाक वैश्विक आतंकी समूहों से कर दी।
असदुद्दीन ओवैसी की यह तीखी टिप्पणी अल्जीरिया में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की ओर से हुई एक बैठक के दौरान आई। भारत सरकार की यह वैश्विक आउटरीच पहल उस समय हुई जब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत पर आतंकवाद से जुड़ा झूठा प्रचार करने की कोशिश की थी।
ओवैसी ने कहा, “पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों और अल-कायदा में कोई वैचारिक अंतर नहीं है। दोनों की विचारधारा एक जैसी है – नफरत, हिंसा और कट्टरता फैलाना।” उन्होंने पाकिस्तान को कट्टरपंथ की फैक्ट्री बताते हुए कहा कि दुनिया को अब पाकिस्तान की वास्तविक भूमिका को समझना चाहिए।
जकीउर रहमान लखवी पर ओवैसी का हमला
ओवैसी ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जकीउर रहमान लखवी का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान की दोहरे मापदंड वाली नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “एक आतंकवादी, जिस पर आतंकवाद का आरोप है, वह जेल में रहकर भी पिता बन गया। जब पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में डाला गया, तभी उस पर मुकदमा तेजी से आगे बढ़ा। क्या यह आतंकवाद के खिलाफ सच्ची लड़ाई है?”
उन्होंने आगे कहा, “आतंकवाद दो चीजों पर जीवित रहता है – विचारधारा और पैसा। विचारधारा पाकिस्तान से आती है और पैसा तब रुकता है जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बनता है। हमें पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालना होगा।”
“अगर पाकिस्तान पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो पूरे क्षेत्र में फैल सकता है नरसंहार”
ओवैसी ने कहा कि यह केवल भारत या दक्षिण एशिया का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरी वैश्विक शांति का सवाल है। उन्होंने आगाह किया कि “हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अगर पाकिस्तान जैसे आतंक के प्रायोजक को नहीं रोका गया, तो यह नरसंहार दक्षिण एशिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल सकता है।”
प्रतिनिधिमंडल में कई वरिष्ठ नेता शामिल
बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में ओवैसी के अलावा निशिकांत दुबे, एस. फागनोन कोन्याक, रेखा शर्मा, सतनाम सिंह संधू, गुलाम नबी आज़ाद और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला जैसे वरिष्ठ नेता और अधिकारी भी शामिल थे। सभी ने एक सुर में पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने की नीति की आलोचना की और वैश्विक समुदाय से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
असदुद्दीन ओवैसी की इस अंतरराष्ट्रीय मंच से आई तीखी आलोचना पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर घेरने की भारत की रणनीति का अहम हिस्सा मानी जा रही है। आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीति को मजबूती देते हुए, ओवैसी ने यह साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देगा, बल्कि सवाल भी उठाएगा।