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प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की टेली-वार्ता पर गरमाई सियासत, विपक्ष ने उठाए सवाल, भाजपा ने किया बचाव

विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए पारदर्शिता की मांग की है, जबकि भाजपा (BJP) नेताओं ने सरकार का बचाव करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट नीति को दोहराया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) के बीच हुई टेलीफोनिक वार्ता पर सियासी घमासान तेज हो गया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बयान के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए पारदर्शिता की मांग की है, जबकि भाजपा (BJP) नेताओं ने सरकार का बचाव करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट नीति को दोहराया।

आरजेडी नेता मनोज झा (MP Manoj Jha) ने विदेश सचिव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा करता हूं, लेकिन बात अब बहुत आगे बढ़ चुकी है। ट्रंप ने अब तक 14-15 बयान दे दिए हैं। आज भी एक तरफ मिस्री जी का वीडियो आया और दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की ब्रीफिंग आई, दोनों में सामंजस्य की भारी कमी है। इसलिए संसद का सत्र तुरंत बुलाया जाना चाहिए ताकि अमेरिका को भारत की ओर से एकजुट संदेश जाए।”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने भी तीखा हमला करते हुए कहा, “आज फील्ड मार्शल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ डिनर का न्योता मिला है। यह वही असीम मुनीर हैं जिनकी भड़काऊ टिप्पणी का सीधा संबंध पहलगाम आतंकी हमले से है। ऐसे व्यक्ति को सम्मान देना हमारी कूटनीति और प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) की साख पर सवाल उठाता है।” उन्होंने आगे कहा, “ट्रंप 14 बार यह कह चुके हैं कि उनकी मध्यस्थता के चलते ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) रोका गया। वहीं विदेश सचिव का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच 35 मिनट की बातचीत हुई। ऐसे में मोदी जी को सर्वदलीय बैठक बुलाकर विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए। वे संवाद से क्यों भाग रहे हैं?”

भाजपा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा (MP Dinesh Sharma) ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, “विदेश सचिव ने साफ कर दिया है कि बातचीत में कोई भ्रम नहीं है। आज का भारत आतंकवाद के खिलाफ समझौता नहीं करता। ऑपरेशन सिंदूर तब तक चलेगा जब तक आतंक का सफाया नहीं हो जाता। यह संदेश पूरी दुनिया को स्पष्ट रूप से दिया गया है।”

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बातचीत के सियासी मायनों को लेकर देश की राजनीति में तेज बहस छिड़ गई है। विपक्ष जहां सरकार से जवाब मांग रहा है, वहीं सत्ता पक्ष आतंकवाद के खिलाफ कड़ी नीति को ही अंतिम जवाब बता रहा है।

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