
आए-दिन सड़क हादसे के मामले सामने आ रहे है। वहीं, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर बेहद दुखद और दर्दनाक मामला सामने आया है। एक्सप्रेसवे पर हुए इस हादसे ने यात्रियों को जीवन भर का गम दे दिया है। किसी ने अपनों को खोया तो कोई जीवनभर के लिए अपाहिज हो गया। हादसे के बाद चारों ओर से बस बचाओ-बचाओ की आवाजें आती रहीं। यह हादसा बुधवार सुबह 4:30 बजे बिहार से दिल्ली जा रही स्लीपर बस टैंकर को बायीं तरफ से ओवरटेक करने के दौरान भिड़ गई, जिससे बस के दाहिने हिस्से के परखच्चे उड़ गए। इस भीषण हादसे में 18 लोगों सहित दोनों वाहनों के चालक की मौत हो गई और 23 यात्री घायल हो गए। हादसे के बाद करीब 8 घंटे तक यातायात प्रभावित रहा।
100 की रफ्तार से बस को लहरा रहा था चालक
हादसे में घायल लोगों ने बताया चालक बस को 80, 90 कभी 100 KM प्रतिघंटा की रफ्तार में चला रहा था। वह सड़क पर इधर से उधर लहराते हुए दूसरे वाहनों को ओवरटेक कर रहा था। यात्रियों ने बताया कि बस का चालक लखनऊ से जैसे ही एक्सप्रेसवे पर पहुंचा उसने रफ्तार तेज कर दी। यात्री मोहम्मद शमी के मुताबिक हादसे के वक्त बस की रफ्तार 90 से 100 के बीच थी। गलत तरीके से ओवरटेक करने के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ है।
परमिट भी नहीं और ढाई साल से नहीं कराई थी फिटनेस
स्लीपर बस की फिटनेस एक जनवरी 2022 में खत्म हो गई थी। इसके बाद से बस की फिटनेस की जांच ही नहीं हुई। बीमा 13 फरवरी 2024 को खत्म हो गया था। टैक्स 30 नवंबर 2023 से जमा नहीं हुआ और बस को सड़क पर चलाने और सवारियां ले जाने का परमिट भी सात महीने पहले दो जनवरी 2024 को खत्म हो गया था। केवल प्रदूषण प्रमाण पत्र ही 15 अप्रैल 2025 तक वैध है। बेहटामुजावर थाने में ट्रैवल एजेंसी के नाम रिपोर्ट दर्ज कराई है।
अफसर रहे बेखबर, 16 जिलों से हर रोज गुजरती थी बस
बिहार से दिल्ली एक्सप्रेसवे पर उन्नाव में बुधवार सुबह जो स्लीपर बस हादसे की शिकार हुई, वह रोजाना बिहार से दिल्ली के बीच कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, कन्नौज, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, नोएडा और गाजियाबाद आरटीओ क्षेत्र से गुजरती थी, पर किसी भी अफसर ने गंभीरता नहीं दिखाई। फिटनेस, टैक्स, इंश्योरेंस बकाया होने के बावजूद कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वहीं, एआरटीओ प्रवर्तन एके सिंह ने बताया कि बस राजस्थान के जोधपुर एनके टॉवर कोहिनूर सिनेमा के पास स्थित मेसर्स के.सी. जैन ट्रैवल की है। बस करन चंद्र जैन और केयर ऑफ महोबा के मवई खन्ना निवासी पुष्पेंद्र सिंह के पते पर परिवहन कार्यालय महोबा में दर्ज है। पुष्पेंद्र सिंह के मुताबिक वह केसी जैन के कार्यालय में काम करता था। के.सी. जैन की कोरोना काल में मौत हो गई थी, इसके बाद नौकरी छोड़ दी थी। अब वह खेती-किसानी करता है। उसको नहीं पता था की बस उसके नाम है।