हिंदुत्व के प्रभाव से भारत नवोत्थान की ओर, धर्मांतरण पर विराम और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति की मांग तेज
देश के अनेक राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं, फिर भी ईसाई मिशनरियां और इस्लामी कट्टरपंथी भोले-भाले हिंदुओं को लालच, छल या बल से धर्मांतरित कर रहे हैं।

कानपुर। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने शनिवार को कानपुर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि “हिंदुत्व की उभरती चेतना के कारण आज भारत नवोत्थान की ओर बढ़ रहा है। राष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र में विकास की लहर है और दुनिया अब भारत को आशा की किरण के रूप में देख रही है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समाज न केवल अवैध धर्मांतरण के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने को तैयार है, बल्कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के अभियान को भी जन आंदोलन बनाएगा।
डॉ. जैन ने कहा कि “देश के अनेक राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं, फिर भी ईसाई मिशनरियां और इस्लामी कट्टरपंथी भोले-भाले हिंदुओं को लालच, छल या बल से धर्मांतरित कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि मस्जिदों और मदरसों में बच्चों के साथ व्यभिचार और अलगाववाद की घटनाएं भी सामने आ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि “अब इन षड्यंत्रों पर विराम लगाना होगा, अन्यथा केवल सरकार ही नहीं, पूरा हिंदू समाज इनके खिलाफ खड़ा होगा।”
विहिप नेता ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर से लेकर पश्चिम बंगाल के जगन्नाथ धाम तक मंदिरों से जुड़े विवादों का हवाला देते हुए कहा कि “सेक्युलर सरकारें हिंदू आस्थाओं का सम्मान नहीं कर सकतीं। मंदिरों की संपत्ति और प्रबंधन पर सरकारी नियंत्रण हिंदू समाज के साथ धोखा है।” उन्होंने बताया कि 5 जनवरी को विजयवाड़ा से शुरू हुआ मंदिर मुक्ति अभियान अब पूरे देश में जन आंदोलन बनेगा, और सभी राज्य सरकारों को इसमें सहयोग करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा को राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण संरक्षण और समरसता का प्रतीक बताते हुए डॉ. जैन ने कहा, “यह यात्रा जाति, भाषा, क्षेत्र जैसे सभी भेदों को समाप्त कर देती है और हर भक्त की एक ही पहचान होती है – वह हिंदू है और भोले बाबा का भक्त है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ इस्लामिक जिहादी तत्व कांवड़ यात्रा के दौरान “थूक जिहाद” और “मूत्र जिहाद” जैसी मानसिकता से समाज को आहत करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने मुस्लिम संगठनों से आग्रह किया कि वे ऐसे तत्वों पर नियंत्रण करें।
अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को उन्होंने भारत के सांस्कृतिक गौरव का पुनर्जागरण बताते हुए कहा कि “इसने समूचे विश्व में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया है। अब भारत स्वदेशी तकनीकी के बल पर आंतरिक और बाह्य दुश्मनों को करारा जवाब दे रहा है।”
डॉ. जैन ने अंत में कहा कि सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा और सामाजिक सौहार्द को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों का सभी पक्षों को कड़ाई से पालन करना चाहिए ताकि कोई विवाद न हो और समाज में शांति बनी रहे।
निष्कर्षतः, विहिप का यह बयान भारत में हिंदुत्व आधारित सामाजिक पुनर्जागरण, धर्मांतरण के खिलाफ जन प्रतिरोध और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के आंदोलन को और तेज करने का संकेत दे रहा है।