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Zee Hindustan: बेरोजगार हो गए ज़ी हिंदुस्तान के कर्मचारी

ज़ी के एक कर्मचारी के अनुसार इस महीने की शुरुआत से ही संकेत मिल रहे थे कि ज़ी मीडिया  में कुछ ठीक नहीं है। पहले ‘क्लस्टर सिस्टम’ को हटा कर तीन चीफ बिजनेस ऑफिसर नियुक्त किए गए। उसके बाद फिर खर्चा कम करने के नाम पर करीब 150 से अधिक लोगों को निकाल दिया गया। इसके बाद इस छंटनी लिस्ट में कई और नाम भी जुड़ते गए।

कर्मचारी के अनुसार, गुरुवार को एक मीटिंग की गई। जिसके बाद रात में करीब 10 बजे के बाद कर्मचारियों को बताया गया कि चैनल बंद होने जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि टीआरपी न आने से चैनल बंद हो रहा है। वहीं कुछ अन्य लोगों के मुताबिक एक ही ग्रुप के दो राष्ट्रीय चैनल होने से दर्शक बंट रहे हैं। जिसकी वजह से दोनों चैनलों को टीआरपी नहीं मिल पा रही है।

शुक्रवार से चैनल हुआ बंद
रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल को बंद करने की बात तो बहुत दिनों से चल रही थी, लेकिन इसे बंद करने का फैसला गुरुवार को लिया गया और 24 नवंबर की देर रात कर्मचारियों को बता दिया गया कि चैनल बंद हो रहा है। शुक्रवार को सभी कर्मचारियों से कहा गया, कि वे इस्तीफा दे दें। जिसके बाद शुक्रवार दोपहर 12 बजे से चैनल बंद हो गया। जी हिंदुस्तान में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि शुक्रवार को सभी को बुलाया गया और उनसे इस्तीफा मांगा गया। चैनल के एक वरिष्ठ संपादक का कहना है कि 12 बजे के बाद सभी रिकार्डेड कार्यक्रम ही दिखाए जा रहे हैं। सारा कामकाज बंद हो गया है और सभी को दो महीने की सैलरी देने को कहा गया है।

हालांकि, चैनल की वेबसाइट अभी बंद नहीं हुई है। चैनल बंद होने की वजह से करीब 300 कर्मचारियों को निकाला गया। ज़ी मीडिया ने अपने बयान में कहा, कि ज़ी हिंदुस्तान को ‘रिस्ट्रक्चर’ किया जा रहा है। आधिकारिक बयान में चैनल बंद होने की बात नहीं कही गयी है। लेकिन कॉर्पोरेट भाषा में रिस्ट्रक्चर का अर्थ यही होता है।

बता दें कि इन दिनों ज़ी समूह में बड़े स्तर पर छंटनी का काम चल रहा है। हाल ही में ज़ी ओडिशा चैनल को भी बंद कर दिया गया। जिसकी वजह से वहां कार्यरत काफी लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

अब ऐसे में यहां कार्यरत लोग आखिर कहां जायेंगे ?
रोजगार से बेरोजगार हुए शिक्षित वर्ग के इन लोगों के बीच बेचैनी है,कहीं और चैनल में इतने पदों पर वैकेंसी नहीं है। जॉब की हाई डिमांड है, नए पीढ़ी के बच्चे भी अपने करियर को ब्राइट करने के लिए इधर उधर फिर रहे हैं। ऐसे में ये कर्मचारी अब क्या करे ये इनकी समझ से पड़े है ।

कंपनी ने अपना नुकसान बताकर जो अपने कामगारों का नुकसान कराया है वो भी जेहनी तौर पर याद रखा जाएगा। भले ही टीआरपी में आगे ना आ पाए। लेकिन इतिहास में जब भी टीवी चैनल में छंटनी की बात आएगी तो ज़ी समूह अव्वल दर्जे पर होगा।

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