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UP में डाकुओं के सम्मान में निभाई जाती है यह परंपरा, बंदूक की नोक पर लूटते हैं पैसा

बुंदेलखंड के डाकुओं की कहानी तो हर किसी ने सुनी होगी। कानून भले ही उन्हें डाकू मानता हो, लेकिन बुंदेलखंड के लोग आज भी उन्हें बागी मानते हैं। यहां आज भी उनकी रॉबिनहुड वाली इमेज है, लोगों द्वारा उनकी याद में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। झांसी के एरच क्षेत्र में स्थानीय लोग आज भी एक अनोखी परंपरा का निर्वाह करते जिसमें डाकू मुस्तकीम की याद में वह स्वांग रचते हैं। ये लोग समूह बनाकर डाकुओं की तरह कपड़े पहनते हैं। फिर हाथों में नकली बंदूक लेकर सड़क पर गुजरने वाले हर राहगीर कर उनसे डकैतों की तरह रुपये मांगते हैं। हर साल दीपावली से पहले स्थानीय लोगों द्वारा इस तरह का स्वांग रचा जाता है।

डाकुओं के सम्मान में रचते हैं स्वांग

स्थानीय लोग इस परम्परा के बारे में जानते हैं। इसलिए इन नकली डाकुओं के रोकने पर मुस्कुराते हुए चंदे के रूप में कुछ रुपये दे देते हैं। कई लोग जो इस प्रथा से अन्जान हैं, वह पैसे देने से इन्कार कर देते हैं। ऐसे में स्वांग करने वाला यह दल बम की तरह सड़क पर पटाखे फेकता है और नकली बंदूक दिखाकर चालक को धमकाता है। इस दौरान राहगीरों को कोई हानि नहीं पहुंचाई जाती है। स्थानीय लोगों के लिए यह स्वांग की परंपरा किसी मनोरंजन की तरह होती है। डाकुओं के सम्मान में यह परंपरा यहां के लोगों के बीच डाकुओं की लोकप्रियता को दर्शाती है।

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